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चुनाव आयोग और हरियाणा चुनाव 2024: अरविंद केजरीवाल का ‘सबसे बड़ा सबक’!

चुनाव आयोग और हरियाणा चुनाव 2024: अरविंद केजरीवाल का ‘सबसे बड़ा सबक’ – हरियाणा चुनाव 2024 राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। जहां एक तरफ भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की ओर अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने इन नतीजों से ‘सबसे बड़ा सबक’ सीखा है। चुनाव आयोग के तहत हुए इन चुनावों ने कई चुनावी विश्लेषकों और एग्जिट पोल्स को गलत साबित कर दिया। इस ब्लॉग में हम चुनाव आयोग की भूमिका, अरविंद केजरीवाल के विचारों, और हरियाणा चुनावों के परिणामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

चुनाव आयोग और हरियाणा चुनाव 2024: अरविंद केजरीवाल का 'सबसे बड़ा सबक'

चुनाव आयोग की भूमिका

चुनाव आयोग का प्रमुख कार्य स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है। हरियाणा चुनाव 2024 में भी चुनाव आयोग ने अपने इस कर्तव्य का पालन किया। आधुनिक चुनावी प्रक्रिया के दौरान आयोग ने ईवीएम, वीवीपैट, और कड़ी निगरानी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया। इस चुनाव में एग्जिट पोल्स ने भाजपा को कम आंकते हुए, कांग्रेस को शुरुआती बढ़त दी थी, लेकिन अंतिम परिणामों ने इस धारणा को पलट दिया।

अरविंद केजरीवाल का ‘सबसे बड़ा सबक’

जैसे ही भाजपा ने हरियाणा में अप्रत्याशित जीत की ओर कदम बढ़ाए, अरविंद केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा। उन्होंने कहा, “चुनावों में कभी भी अति-आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए।” यह बयान न केवल उनके लिए, बल्कि उनकी पार्टी के लिए भी एक महत्वपूर्ण सीख साबित हुआ। AAP ने हरियाणा में 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन पार्टी राज्य में खाता खोलने में असफल रही। केजरीवाल ने अपने पार्टी के नगर निगम पार्षदों के समक्ष यह भी कहा, “कोई भी चुनाव हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक चुनाव और प्रत्येक सीट चुनौतीपूर्ण होती है।”

कांग्रेस और अति-आत्मविश्वास पर कटाक्ष

अरविंद केजरीवाल का बयान कांग्रेस पर भी एक अप्रत्यक्ष कटाक्ष माना गया। शुरुआत में कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी और इसे देखते हुए premature victory celebrations (असमय जीत की खुशियां) भी शुरू हो गईं थीं, लेकिन परिणाम पलटते ही भाजपा ने मजबूत बढ़त हासिल कर ली। कांग्रेस, जो AAP की INDIA गठबंधन की राष्ट्रीय स्तर पर सहयोगी है, अंततः दूसरे स्थान पर खिसक गई।

भाजपा की एतिहासिक जीत

हरियाणा में भाजपा ने चुनावी इतिहास रचते हुए लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ाया है। इस जीत ने एग्जिट पोल्स को गलत साबित किया और भाजपा ने सत्ता-विरोधी लहर (anti-incumbency) के बावजूद अपनी पकड़ मजबूत रखी। भाजपा 90 सीटों में से 50 पर आगे रही, जिससे यह साबित हो गया कि राज्य की जनता ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त किया है।

AAP की स्थिति और जम्मू-कश्मीर में जीत

जहां हरियाणा में AAP के उम्मीदवार लगभग सभी सीटों पर पीछे रहे, वहीं जम्मू और कश्मीर में पार्टी ने बड़ी सफलता हासिल की। मेहराज मलिक, जिन्होंने 2020 के स्थानीय निकाय चुनाव में पहली जीत दिलाई थी, ने आज डोडा सीट से भाजपा को परास्त कर पार्टी को जीत दिलाई। यह AAP के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि राष्ट्रीय राजनीति में उसकी जगह बन रही है।

चुनाव परिणामों का विश्लेषण

हरियाणा के चुनाव परिणाम यह संकेत देते हैं कि कोई भी चुनाव पूर्वानुमान (exit polls) अंतिम नहीं होते। भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति और ज़मीनी काम के बल पर यह बड़ी जीत हासिल की है। इसके साथ ही, चुनाव आयोग ने इस चुनाव में अपनी निष्पक्षता और विश्वसनीयता को एक बार फिर से साबित किया है। आयोग के द्वारा लागू किए गए कड़े नियमों और नीतियों ने इस बार भी निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराए।

निष्कर्ष

हरियाणा चुनाव 2024 ने न केवल राजनीतिक पार्टियों को, बल्कि जनता को भी कई सबक सिखाए हैं। अरविंद केजरीवाल का ‘अति-आत्मविश्वास न होना’ का सबक हर पार्टी के लिए जरूरी है। चुनाव आयोग ने अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी पालन किया है और यह सुनिश्चित किया है कि लोकतंत्र की इस प्रक्रिया में जनता की सच्ची आवाज़ सुनी जाए।

हर चुनाव में यह आवश्यक है कि पार्टियां जनता के विश्वास को अर्जित करें और परिणामों को गंभीरता से लें। हरियाणा का यह चुनाव भी इस बात का प्रमाण है कि जनता का समर्थन और विश्वास ही अंतिम रूप से निर्णायक होता है।

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